कृषà¥à¤£à¤¾ की कहानी की लेखिका मेरी माठसà¥à¤µ. कमला देवी शà¥à¤•à¥à¤²à¤¾ जी हैं। इनकी इंटर तक की शिकà¥à¤·à¤¾ कनà¥à¤¯à¤¾ गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤², हाथरस में हà¥à¤ˆà¥¤ 13 वरà¥à¤· की अवसà¥à¤¥à¤¾ में इनके पिता सà¥à¤µ. पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ रामचंदà¥à¤° जी, जो की आरà¥à¤¯ समाज और गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² हाथरस में पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤Ÿà¤¿à¤¤ थे उनकी मृतà¥à¤¯à¥ के समाचार के बाद इनकी सदमा गà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤ अवसà¥à¤¥à¤¾ में इनको à¤à¤• माठकी तरह संà¤à¤¾à¤²à¤¨à¥‡ वाली कृषà¥à¤£à¤¾ से होती है। यही से ये दोनों अà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ सखी अपने जीवन के उतार-चढ़ाव को कैसे जीती है उसका वरà¥à¤£à¤¨ किया है। लेखिका (मेरी माà¤) शादी के बाद हम चार à¤à¤¾à¤ˆ-बहनों के होने पर पà¥à¤¨: शिकà¥à¤·à¤¾ से जà¥à¤¡à¤¼à¥€à¥¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बी.à¤., à¤à¤®.à¤. (संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤), बीà¤à¤¡ किया पर हम सबको बनाने में कà¤à¥€ ख़à¥à¤¦ के करियर पर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ नहीं दिया। नमन माठआपको, आज चौथी पà¥à¤£à¥à¤¯ तिथि पर पर आपका सपना हमरूह के सहयोग से पूरा कर सकी।
अपराजिता शरà¥à¤®à¤¾