लेखक परिचय
दीपक कनौजिया
(प्राधुनिक)
जन्म : 27- सितम्बर-1984
जन्मस्थली : जिला उन्नाव, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
लेखन प्रेम : मैं कोई पेशेवर लेखक नहीं सिर्फ लेखन और साहित्य के प्रति मेरा प्रेम है जो मुझे इस दिशा में अपनी ओर खींचता है कभी कभार…मुझे व्यक्तिगत तौर पर ऐसा लगता है कि एक आर्टिस्ट सबसे बड़ा उदाहरण बन सकता है जो समाज में आमूल चूल परिवर्तन ला सकता है, समाज को सही दिशा दे सकता है और उसके हथियार होते हैं कला, साहित्य और कलम…
मैंने पढ़ा है, सुना है कई दफे और हाल ही में जब मैंने ओ माय गॉड २ पिक्चर देखी तो उसमें भी इसका ज़िक्र आया कि किस तरह लार्ड मैकाले ने पूरा भारत भ्रमण कर निष्कर्ष के तौर पर भारत को कमज़ोर करने के लिये अंग्रेजी हुकूमत को हिदायत दी कि भारत की शक्ति उसके साहित्य में हैं, उसकी संस्कृति में है और यदि भारत की शक्ति को छीड़ करना है, इसे गुलाम बनाये रखना है तो इनके साहित्य को ख़त्म करना पड़ेगा…ख़त्म कर दो इनके साहित्य को, बदल डालो इनकी शिक्षा पद्धति को और इसमें वह सफल भी रहा कुछ हद तक…और मैं इसे कुछ हद तक इसलिए मानता हूं क्योंकि मैं मानता हूं भारत और इसका साहित्य कुछ समय के लिये अदृश्य तो हो सकता है पर नष्ट नहीं
कुछ बात है कि हस्ती, मिटती नहीं हमारी,
सदियों रहा है दुश्मन, दौर-ए-ज़माँ हमारा..
और मैं नहीं चाहता कि अब भी नया कोई लार्ड मैकाले भारत के साहित्य को नष्ट करने का विचार करे और अगर करे तो साहित्य एक शक्ति की तरह स्थापित रहे सदैव ऐसे नकारात्मक विचारों को परे धकेलने के लिये…लेखन की इस शक्ति के चलते लेखन मुझे आकर्षित करता है, अपने प्रेम से बुलाता है मुझे अपने करीब जिसके चलते मैं अपने छोटे से स्तर पर कुछ कुछ प्रयास करता रहता हूं
आजकल : आजकल मैं राजधानी दिल्ली में रह रहा हूं और वाणिज्य और प्रबंधन के क्षेत्र में दिल्ली विश्वविद्यालय से अपनी शिक्षा पूरी कर अब अपनी सेवाएं समाज को अर्पित कर रहा हूं…जो पाया था समाज से वही समाज को वापस करने के प्रयासों में प्रयत्नशील हूं…