अमरीश अगà¥à¤°à¤µà¤¾à¤² à¤à¤• सेवानिवृत बैंकर हैं। इनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सà¥à¤Ÿà¥‡à¤Ÿ बैंक ऑफ पटियाला में 40 वरà¥à¤· नौकरी की है। 19 वरà¥à¤· की आयॠमें जब B. Sc II की परीकà¥à¤·à¤¾ दी थी, तो किनà¥à¤¹à¥€à¤‚ पारिवारिक कारणों से पढ़ाई बीच में छोड़ कर नौकरी करनी पड़ी थी। बैंक से सेवा निवृतà¥à¤¤à¤¿ के बाद à¤à¤• कमà¥à¤ªà¤¨à¥€ में नौकरी की लेकिन वो काम मन को नहीं à¤à¤¾à¤¯à¤¾ और à¤à¤• वरà¥à¤· बाद उसे छोड़ दिया। फिर à¤à¤• इंसà¥à¤Ÿà¥€à¤Ÿà¥à¤¯à¥‚ट दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ संचालित à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ बैंको के अधिकारियों को पà¥à¤°à¤¶à¤¿à¤•à¥à¤·à¤£ देने लगे।
लेखक ने नौकरी के दौरान ही सांय काल के कोरà¥à¤¸ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पंजाबी विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ से इंगà¥à¤²à¤¿à¤¶ में à¤à¤®.ठऔर à¤à¤².à¤à¤².बी किया है।
इनकी साहितà¥à¤¯ में, विशेषतया कविता/शायरी में, रà¥à¤šà¤¿ बचपन से रही है किंतॠविजà¥à¤žà¤¾à¤¨ का विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ होने के कारण कà¤à¥€ सà¥à¤µà¤¯à¤‚ लिखने का नहीं सोचा।
इनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सदैव दिमाग के ऊपर दिल को अधिमान दिया है और जीवन के सà¤à¥€ महतà¥à¤¤à¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ निरà¥à¤£à¤¯ दिल से किठहैं जिसके कारण ये बहà¥à¤¤ संवेदनशील पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ हैं।
लेखक ने अपने लंबे जीवन काल में अनेक अनà¥à¤à¤µ किà¤, कà¥à¤› मीठे, कà¥à¤› खटà¥à¤Ÿà¥‡ और कà¥à¤› कड़वे। à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ लोगों के विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° में कà¥à¤¯à¤¾ और कैसे परिवरà¥à¤¤à¤¨ होते हैं, इसको बड़ी सूकà¥à¤·à¥à¤®à¤¤à¤¾ से देखा और समà¤à¤¾ है और इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ अनà¥à¤à¤µà¥‹à¤‚ को कविता में पिरोने का पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ किया है। कविता के माधà¥à¤¯à¤® से अपने मन के à¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¿à¤¤ करने का à¤à¤• छोटा सा पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ है अहसास दिल के।