

Author | Nupur Sharma |
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"अक्स" मेरे लिए कोई किताब नहीं है। ना ही ये किसी के मंनोरंजन के लिए या लोग को पसन्द आएँ इस उद्देश्य से लिखा गया कोई उपन्यास है ।ये एक सच है! जिसे मैंनें जस का तस काग़ज़ पर उतार दिया है।
हाँ, ये कहना मुश्किल है कि मैं जिया के दर्द के साथ पूरा न्याय कर पाई कि नहीं क्योंकि कहने और सहने में बहुत भेद होता है।
और भी सच है कि वक़्त एक ऐसा मरहम है जो हर ज़ख़्म भर देता है और किसी ने ख़ूब कहा हैं "जब दर्द हद से गुजर जाएँ तो दवा होता है” परमात्मा किसी के जीवन में कुछ ऐसे इम्तिहान लेता है जो बहुत मुश्किल होते है और कभी कभी ऐसे ईनाम देता है जो अप्रत्याशित होते है।
ये मेरी एक छोटी सी कोशिश है अपनी सखी को एक प्यार भरी भेंट देने की। आशा करती हूँ उसे पसन्द आएगी।
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